परवेज़ आलम
झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार भी बीजेपी कोई करिश्मा नह कर पाई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे बड़े नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियों के बावजूद पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
मोदी की रैलियों का असर सीमित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में छह सभाएं की थीं—गढ़वा, बोकारो, गोड्डा, देवघर, चतरा और सिमरिया। इनमें से गढ़वा सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की, लेकिन बाकी जगह मोदी का करिश्मा फीका रहा।
बोकारो जिले में मोदी ने चंदनक्यारी में सभा की थी, जहां से नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी चुनाव लड़े। लेकिन बाउरी हार गए। बोकारो की दूसरी सीट से विधायक बिरंची नारायण भी हार का स्वाद चखने को मजबूर हुए।
इसी तरह, गोड्डा और देवघर में मोदी की सभाओं के बावजूद पार्टी को हार झेलनी पड़ी।
अमित शाह का प्रभाव भी सीमित
गृह मंत्री अमित शाह ने चतरा और सिमरिया में सभाएं कीं। यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की, लेकिन गांडेय और गिरिडीह में उनके प्रयास असफल साबित हुए।
योगी और राजनाथ भी हुये फ़ेल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हजारीबाग में सभा की, जहां पार्टी को सफलता मिली। लेकिन सिंदरी और निरसा में उनकी सभाओं का कोई असर नहीं दिखा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भवनाथपुर में चुनाव प्रचार किया, लेकिन पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
झारखंड में BJP का प्रदर्शन चिंताजनक
इस चुनाव ने साफ कर दिया कि झारखंड में बीजेपी के लिए चुनावी राह आसान नहीं है। बड़े नेताओं की सभाएं भी जमीनी स्तर पर वोटरों को लुभाने में नाकाम रहीं। अब सवाल यह उठता है कि क्या बीजेपी झारखंड में अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करेगी, या यह हार पार्टी की कमजोरी का प्रतीक बनकर रह जाएगी?