
झारखंड में मैट्रिक परीक्षा के पेपर लीक मामले ने तूल पकड़ लिया है। पूरे राज्य में इसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है। सोमवार को डीजीपी अनुराग गुप्ता ने पुलिस मुख्यालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उच्च अधिकारियों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में कोडरमा और गढ़वा जिले के जांच अधिकारियों को सख्त दिशा-निर्देश दिए गए।
जांच की कड़ियां जोड़ने में जुटी पुलिस
डीजीपी ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) से परीक्षा केंद्रों तक प्रश्नपत्र पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया समझने के निर्देश दिए हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर लीक कहां से हुआ। साथ ही बरामद किए गए डिजिटल उपकरणों की गहन जांच के आदेश दिए गए हैं, जिससे इस पूरे षड्यंत्र के मुख्य साजिशकर्ता को बेनकाब किया जा सके।
पुलिस ने तेज की कार्रवाई, डिजिटल उपकरणों की जांच जारी
बैठक में डीजीपी ने जांच की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए समयबद्ध तरीके से मामले की तह तक पहुंचा जाए। पुलिस दोषियों की जल्द गिरफ्तारी के लिए कमर कस चुकी है।
जैक पेपर लीक का अब तक नहीं मिला कोई सुराग!
हालांकि, पुलिस अब तक पेपर लीक के असली स्रोत तक नहीं पहुंच पाई है। अब तक की जांच में सिर्फ वे लोग पकड़े गए हैं, जिन्होंने लीक प्रश्नपत्र को इंटरनेट मीडिया पर वायरल किया था। दो आरोपियों को गिरफ्तार कर पांच दिन की रिमांड पर लिया गया है, जहां उनसे लगातार पूछताछ जारी है।
पुलिस वायरल प्रश्नपत्र के बारकोड से उसके स्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस जानकारी हाथ नहीं लगी है। कोडरमा जिला प्रशासन ने अपनी जांच के बाद JAC को रिपोर्ट भेजी है, जिसमें कहा गया है कि पेपर कोडरमा से लीक नहीं हुआ है।
संदिग्धों से हो रही पूछताछ, अफवाहों पर न दें ध्यान
इधर, पुलिस ने कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। इस बीच मंगलवार को होने वाली सामाजिक विज्ञान की परीक्षा को लेकर भी अफवाहों का दौर चल रहा है। प्रशासन ने छात्रों से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और परीक्षा की तैयारियों पर फोकस करें।
डीजीपी की बैठक में कौन-कौन थे शामिल?
इस अहम बैठक में आइजी सीआईडी असीम विक्रांत मिंज, डीआइजी हजारीबाग संजीव कुमार, डीआइजी पलामू वाई.एस. रमेश, गढ़वा और कोडरमा के एसपी भी मौजूद थे। सभी अधिकारियों ने मिलकर यह सुनिश्चित करने की रणनीति बनाई कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाया जाए।
अब देखना यह होगा कि पुलिस इस हाई-प्रोफाइल मामले में कब तक सफलता हासिल करती है और असली गुनहगार कब तक कानून की गिरफ्त में आते हैं।