
जमशेदपुर : झारखंड के चाकुलिया एरोड्रम के पास बाघिन ‘जीनत’ की मौजूदगी ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। सिमलीपाल टाइगर रिजर्व से भागकर आई इस बाघिन ने वन विभाग को खूब दौड़ाया। जीनत के गले में बंधे रेडियो कॉलर से उसके हर कदम की खबर तो मिल रही है, लेकिन उसे पकड़ना अब तक नामुमकिन साबित हो रहा है।
“जीनत का सफर और गांवों में खौफ”
ओडिशा से निकलकर गुड़ाबांधा के रास्ते चाकुलिया पहुंची तीन साल की जीनत ने मंगलवार को पूरा दिन गोदराशोल जंगल में बिताया। यह जंगल चाकुलिया शहर से महज दो किलोमीटर दूर है। रेडियो कॉलर के जरिए उसकी हरकतें ट्रैक की जा रही हैं, लेकिन गांवों के लोग अब खौफ में हैं। आसपास के गांव जैसे मोरबेड़ा, राजाबासा, और सानघाटी के लोग घर से बाहर निकलने से डर रहे हैं। यहां तक कि मवेशियों को भी जंगल की ओर नहीं भेज रहे।
“वन विभाग की टीमें और जीनत की चालाकी”
जीनत की निगरानी के लिए ओडिशा और झारखंड से वन विभाग की 80 सदस्यीय टीम जुटी है। सिमलीपाल टाइगर रिजर्व से आए विशेषज्ञों की 20 सदस्यीय टीम और चाकुलिया वन क्षेत्र के 60 वनकर्मी अलग-अलग पाली में काम कर रहे हैं। लेकिन जीनत इतनी चालाक है कि दिनभर इन टीमों को चकमा देती रही। वन विभाग की आरसीसीएफ स्मिता पंकज के मुताबिक, “जीनत अब तक सीधी दिशा में बढ़ रही है। वह राजाबासा और गोदराशोल के जंगलों में आराम कर रही है। अगर यह सीधे बढ़ती है तो रेलवे लाइन या रिहाइशी इलाका आ सकता है।”
“बेहोश करके ओडिशा लौटाने की तैयारी”
वन विभाग की योजना है कि अगर जरूरत पड़ी तो जीनत को ट्रेंकुलाइज करके सिमलीपाल वापस भेजा जाएगा। विशेषज्ञ एस साई का कहना है कि बाघिन अब तक इंसानों का शिकार नहीं कर चुकी है, जो राहत की बात है। लेकिन उसकी हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
गांववालों के लिए जीनत सिर्फ एक बाघिन नहीं, बल्कि डर का दूसरा नाम बन गई है। बच्चे घरों में कैद हैं, और झुंड में रहने वाले ग्रामीण जंगल की ओर झांकने तक से कतरा रहे हैं। वन विभाग की टीमें अपनी जगह मुस्तैद हैं, लेकिन जीनत का अगला कदम क्या होगा, ये सवाल सबके दिलों में खौफ पैदा कर रहा है।