
रांची :झारखंड में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी नई टीम के साथ शुक्रवार को पहली बैठक की। ये बैठक केवल रस्म अदायगी नहीं थी, बल्कि एक ऐसा कदम था जो यह बताने की कोशिश कर रहा था कि राज्य की राजनीति अब केवल बैठकों और घोषणाओं तक सीमित नहीं रहेगी।
15 से 16 बिंदुओं की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें मंत्री अपने विभागों का हाल-चाल लेंगे, योजनाओं की समीक्षा करेंगे, और समस्याओं का जल्द समाधान निकालने का रोडमैप बनाएंगे। मुख्यमंत्री ने मीडिया के सामने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यह केवल मीटिंग नहीं, एक्शन का ऐलान है।”
हर जिले का दौरा, हर समस्या का समाधान
हेमंत सोरेन ने अपने मंत्रियों को सख्त निर्देश दिए हैं: दो महीने के भीतर सभी जिलों का दौरा करें। जनता के बीच जाएं, उनकी समस्याएं समझें, और फीडबैक मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाएं। इसके साथ ही विभागीय योजनाओं और कर्मियों के प्रमोशन पर भी नजर रखने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री का कहना है, “झारखंड को बेहतर दिशा में ले जाने के लिए ज़मीन से जुड़े फैसले लेने होंगे।”
कैबिनेट की बैठक से निकली बड़ी बातें
समीक्षा और सुधार: सभी मंत्री योजनाओं की गहन समीक्षा करेंगे।
अछूते क्षेत्र: जनजातीय और पहाड़ी इलाकों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने पर जोर।
लंबित योजनाओं का निष्पादन: अटकी योजनाओं को पूरा करने के लिए ठोस कदम।
राजस्व वृद्धि: राजस्व बढ़ाने के लिए नए प्रस्ताव।
भवन निर्माण की समीक्षा: उपयोग सुनिश्चित करने और फिजूलखर्ची रोकने के निर्देश।
कर्मचारियों की पदोन्नति: प्रमोशन और पदस्थापना में पारदर्शिता लाने की कवायद।
जनता से सीधा संवाद: हर मंत्री को अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ अन्य जिलों में जनता से संवाद करना होगा।
क्या ये बदलाव जमीन पर दिखेंगे?
प्रशासनिक सुधार की यह कवायद कितनी असरदार होगी, यह देखना बाकी है। पर हेमंत सोरेन का ये अंदाज कुछ अलग है।
क्या वाकई ये बैठक झारखंड की राजनीति को नई दिशा दे पाएगी? क्या ये घोषणाएं सिर्फ सरकारी कागजों पर रह जाएंगी, या सच में झारखंड की तस्वीर और तकदीर बदलेगी?