
By Perwez Alam……..
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में आज एक बार फिर से भयावह नक्सली हमला हुआ। नक्सलियों ने सुरक्षाबलों की गाड़ी को IED विस्फोट से निशाना बनाया। इस हमले में 8 डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के जवान और वाहन चालक शहीद हो गए। यह घटना बीजापुर के कुटरू मार्ग के बेदरे क्षेत्र में हुई, जब जवान एक सफल ऑपरेशन के बाद लौट रहे थे।
IED विस्फोट की भयावहता।
घटना की पुष्टि बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने की। उन्होंने बताया कि नक्सलियों ने घात लगाकर इस विस्फोट को अंजाम दिया। धमाके की तीव्रता इतनी जबरदस्त थी कि गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। जवानों के शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए। मौके पर बने बड़े गड्ढे से इस विस्फोट की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हमले के पीछे की रणनीति।
यह हमला उस समय हुआ जब सुरक्षाबल नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी सफलता हासिल कर लौट रहे थे। इस ऑपरेशन में 5 नक्सलियों को मार गिराया गया था। लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि नक्सलियों ने पहले से ही जवानों की मूवमेंट पर नजर रखी और उनकी वापसी पर हमला करने की योजना बनाई।
क्या इंटेलिजेंस फेल हुआ?
हमले के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या इंटेलिजेंस फेल हुआ। राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि इस घटना की पूरी जांच की जाएगी। हालांकि, बस्तर रेंज के आईजी का कहना है कि जवान ऑपरेशन की सफलता के बाद लौट रहे थे। जिस जगह पर हमला हुआ, वहां से पहले भी सुरक्षाबलों का काफिला निकला था।
नक्सलियों का मजबूत खुफिया तंत्र ।
नक्सलियों का खुफिया तंत्र इतना मजबूत है कि उन्हें जवानों के मूवमेंट की जानकारी अक्सर बच्चों के माध्यम से मिल जाती है। बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र को नक्सलियों का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। यहां नक्सलियों ने कई सालों से IED बिछा रखी है, जिनकी जानकारी सुरक्षाबलों को नहीं होती।
नक्सलवाद का घटता प्रभाव और बौखलाहट।
पिछले एक साल में नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई ने उनके प्रभाव को कमजोर कर दिया है। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के कई सुरक्षित गढ़ों पर हमला कर उन्हें हिला दिया है। इस हमले को नक्सलियों की बौखलाहट और अपनी मौजूदगी का अहसास कराने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
बीजापुर की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि नक्सलवाद से निपटना कितना चुनौतीपूर्ण है। यह लड़ाई केवल बंदूकों की नहीं, बल्कि सूझबूझ और बेहतर रणनीति की भी है।