
परवेज़ आलम की रिपोर्ट …………….
झारखंड में ओबीसी सर्वे का काम अब तेजी पकड़ चुका है। राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा वर्गों के सर्वे के लिए तय की गई प्रक्रिया लगभग अपने अंतिम चरण में है। इस महत्त्वपूर्ण पहल के लिए राज्य आयोग इन दिनों नगर निकाय क्षेत्रों में डोर-टू-डोर सर्वे करवा रहा है, जिसमें 3 करोड़ 27 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
रिपोर्ट जनवरी में आएगी।
आयोग के सूत्रोंने बताया कि सर्वे का काम जिला स्तर पर लगभग पूरा हो चुका है। जनवरी के अंत तक सभी जिलों की रिपोर्ट आयोग कार्यालय पहुंच जाएगी। इसके बाद, सदस्य खुद जिलों का भ्रमण कर सर्वे की सटीकता का आकलन करेंगे।
किसी प्रतिष्ठित संस्थान को मिल सकती है फाइनल रिपोर्ट की जिम्मेदारी।
जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर फाइनल रिपोर्ट तैयार करने के लिए किसी प्रतिष्ठित संस्थान को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सरकार को यह फाइनल रिपोर्ट फरवरी के अंत तक सौंपने की योजना है।
बिना अध्यक्ष कैसे जारी होगी सर्वे रिपोर्ट?
राज्य आयोग में अध्यक्ष का पद खाली होने के कारण ओबीसी सर्वे रिपोर्ट को जारी करने में परेशानी हो सकती है। फिलहाल आयोग केवल दो सदस्यों के सहारे काम कर रहा है। लेकिन संभावना है कि जल्द ही नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी, जिससे फाइनल रिपोर्ट पेश करने का रास्ता साफ होगा।
बिहार और मध्य प्रदेश की अपनाई गयी सर्वे पद्धति।
सर्वे शुरू करने से पहले आयोग की टीम ने बिहार और मध्य प्रदेश का दौरा किया था। हालांकि, बिहार की तुलना में मध्य प्रदेश की सर्वे पद्धति को बेहतर मानते हुए झारखंड में उसी तर्ज पर सर्वे की प्रक्रिया अपनाई गई।
नगर निकाय चुनाव में आरक्षण का आधार बनेगी रिपोर्ट।
इस बार का सर्वे विशेष रूप से नगर निकाय क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां चुनाव आयोग की नवीनतम मतदाता सूची को आधार बनाया गया है। सर्वे के लिए पांच अलग-अलग प्रपत्र तैयार किए गए हैं, जिनमें मतदाता संख्या, नाम, उम्र, लिंग, और जातीय विवरण दर्ज किया जा रहा है। ओबीसी वर्ग के लिए बीसी 1 और बीसी 2 में जातियों का विवरण स्पष्ट रूप से भरना अनिवार्य है।
फरवरी 2025 तक पूरी होगी गणना।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा, तो फरवरी के अंत तक झारखंड सरकार ओबीसी सर्वे को पूरी तरह से अंतिम रूप दे देगी। इसके बाद, यह रिपोर्ट राज्य में ओबीसी आरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम साबित हो सकती है।
यह सर्वे झारखंड के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है। नगर निकाय चुनावों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिलेगा और सरकार को उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विस्तृत जानकारी मिलेगी।