कैसे हुआ खुलासा?
सभापति धनखड़ ने सदन को बताया, “सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सुरक्षा जांच में सीट संख्या 222 पर नोटों की एक गड्डी पाई गई। गड्डी में 500 रुपये के 100 नोट थे। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि नोट असली हैं या नकली।”
इस खुलासे के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने इसे “सदन की गरिमा पर चोट” बताते हुए तुरंत जांच की मांग की।
सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर
भाजपा के अन्य नेताओं जैसे कि किरेन रिजिजू और पीयूष गोयल ने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता बताई। वहीं, विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की सुनियोजित चाल करार दे रहा है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने अब तक इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है, लेकिन कांग्रेस इसे “राजनीतिक साजिश” मान रही है।
नोट असली हैं या नकली? जांच जारी
यह सवाल हर किसी के दिमाग में है कि सदन जैसी संवेदनशील जगह पर नोटों की गड्डी कैसे पहुंची? अगर ये असली हैं, तो क्यों और अगर नकली हैं, तो किस मकसद से?
सभापति धनखड़ ने कहा है कि मामले की जांच जारी है और सभी तथ्यों की गहराई से पड़ताल की जाएगी। उन्होंने सदन के सदस्यों को इस मामले पर संयम बरतने की भी अपील की।
संसद की गरिमा पर चोट या नई राजनीतिक रणनीति?
सदन में नोटों की गड्डी का पाया जाना सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के मंदिर में एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
- क्या यह वाकई सदन की गरिमा पर चोट है?
- या फिर यह सत्ता और विपक्ष के बीच जारी सियासी खेल का हिस्सा है?
संसद के इस सत्र में यह घटना आने वाले दिनों में हंगामे का कारण बनेगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस जांच के नतीजे सदन के भीतर की राजनीति के धुंधलके को साफ कर पाएंगे, या फिर यह मामला भी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में दब जाएगा?