
पारसनाथ [गिरिडीह ] : धार्मिक आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना मधुबन का सम्मेद शिखर । आचार्य विमल सागर महाराज के समाधि स्थल पर इन दिनों भव्य स्मृति महोत्सव की धूम है। तीन दिवसीय इस आयोजन में देशभर से आए श्रद्धालु बाबा की भक्ति में मग्न हैं। जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं, और श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक है। बता दे कि मधुबन का सम्मेद शिखर जैनियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है ।
समाधि स्थल पर श्रद्धा का सैलाब।
यहां 29 दिसंबर 1994 को साधना करते हुए आचार्य विमल सागर महाराज ने समाधि को प्राप्त किया था। उनकी स्मृति में भक्तों ने भव्य और आकर्षक समाधि स्थल बनाया है, जहां बाबा की प्रतिमा विराजमान है। इस समाधि स्थल को फूलों, पत्तियों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
तीन दिन का विशेष धार्मिक आयोजन।
स्मृति महोत्सव शुक्रवार से शुरू हुआ। इस दौरान साधु-संतों के सान्निध्य में बाबा की प्रतिमा का अभिषेक और धार्मिक विधियों का आयोजन किया गया। महाआरती और भजन संध्या, जिसमें स्थानीय और बाहरी कलाकारों ने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया।
भक्तिभावना में लीन श्रद्धालु।
देश के विभिन्न प्रांतों से पहुंचे श्रद्धालु बाबा की भक्ति में डूबे हुए हैं। समाधि स्थल पर श्रद्धालुओं का आना-जाना दिनभर जारी रहा। बाबा के प्रति श्रद्धा और आस्था का यह माहौल, हर किसी को अपनी ओर खींच रहा है।
मधुबन में उत्सव जैसा माहौल।
स्मृति महोत्सव ने मधुबन को पूरी तरह भक्ति और उत्सव के रंग में रंग दिया है। हर कोना रोशनी और सजावट से जगमगा रहा है।
आचार्य विमल सागर महाराज के प्रति यह अटूट आस्था और श्रद्धा, उनकी स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। सम्मेद शिखर की यह पवित्र धरा, श्रद्धालुओं को भक्ति और शांति का अनमोल अनुभव दे रही है।