
परवेज़ आलम की रिपोर्ट ………
झारखंड विधान सभा का विशेष सत्र आज से शुरू हो रहा है।छठे विधान सभा के लिए चुनकर आए विधायकों को आज प्रोटेम स्पीकर शपथ दिलाएंगे। सभी 81 विधायक विधान सभा आयेंगे पर चर्चा विधायक जयराम महतो की शुरू हो गई है । आज वे नंगे पांव विधान सभा पहुंचे तो खबर की सुर्खियां बन गई । मीडिया ने सवाल किया तो क्या कहा जयराम ने “आप मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा और गिरजाघर जाते हैं तो चप्पल पहनकर जाते हैं । नहीं न । तो विधानसभा भी लोकतंत्र का मंदिर है जिससे झारखंड के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है तो फिर….
गरीब विधायक जयराम महतो : साधारण जीवनशैली बनी चर्चा का विषय.
झारखंड के डुमरी विधानसभा से विधायक और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के नेता जयराम महतो ने अपने सादगी भरे अंदाज से सबका ध्यान खींचा। सोमवार को विधानसभा में प्रवेश करते वक्त जयराम महतो बिना चप्पल-जूते के नंगे पांव पहुंचे। सदन के प्रवेश द्वार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर मत्था टेककर उन्होंने सदन को ‘प्रमाण’ किया और फिर अंदर गए।
संघर्षशील विधायक का खास अंदाज.
30 वर्षीय जयराम महतो को झारखंड का सबसे गरीब विधायक माना जाता है। सादगी और संघर्ष उनकी पहचान है। विधानसभा में प्रवेश के दौरान भी उनके पैरों में चप्पल नहीं थी, जो उनकी साधारण जीवनशैली को दर्शाता है। उन्होंने जिस अंदाज में सदन के प्रति सम्मान व्यक्त किया, वह उनके समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
युवाओं की आवाज उठाने का वादा .
जयराम महतो ने चुनाव प्रचार से लेकर विधायक बनने तक युवाओं और आम जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। उनकी आक्रामक भाषण शैली और गाड़ी के बोनट पर खड़े होकर जनता से संवाद करने का अंदाज उन्हें युवाओं में खासा लोकप्रिय बनाता है। उनके समर्थकों को उम्मीद है कि वह रोजगार, स्थानीय नीति और झारखंड के विकास के मुद्दों को जोर-शोर से सदन में उठाएंगे।
जेएलकेएम ने बिगाड़ा बीजेपी-आजसू का समीकरण.
विधानसभा चुनाव 2024 में जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने सिर्फ एक सीट जीती, लेकिन 71 सीटों पर चुनाव लड़कर करीब 12 लाख वोट हासिल किए। इनके कारण बीजेपी और आजसू पार्टी के कई उम्मीदवारों का सियासी गणित बिगड़ गया। जयराम महतो की पार्टी ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है।
संघर्षों से भरी जिंदगी.
जयराम महतो की जिंदगी बचपन से ही संघर्षों से भरी रही है। खुद जयराम बताते हैं कि उनका जीवन मां के गर्भ से ही मुश्किलों में था। जन्म के तुरंत बाद अंधविश्वास के चलते उनकी नानी उन्हें अपने साथ ले गईं। गांव-घर के लोगों का मानना था कि उनके घर पर किसी बुरी शक्ति का साया है, जो बच्चों की मौत का कारण बनती है। जयराम अपनी मां का दूध तक नहीं पी सके।
सादगी बनी प्रेरणा.
झारखंड में 81 विधायकों में जयराम महतो की संपत्ति सबसे कम है। उनका जीवन और संघर्ष आज भी उन्हें जमीन से जोड़े रखता है। विधानसभा में नंगे पांव पहुंचने का उनका यह अंदाज झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में नई प्रेरणा लेकर आया है।