धनखड़ की कार्यशैली पर विपक्ष अब किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठेगा-डॉ सरफराज

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परवेज़ आलम की रिपोर्ट ……..

संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, और इस बार जो संसद में हो रहा है, वह न केवल संसदीय राजनीति का एक ताजातरीन रूप है, बल्कि यह लोकतंत्र के साख और मंशा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। हंगामा, शोरगुल, और आरोपों-प्रतयारोपों  का दौर अब संसद के हर कोने से उठ रहा है। इन हालात में, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। करीब 60 सांसदों के हस्ताक्षर से इस प्रस्ताव का समर्थन किया गया है। लेकिन सत्ता पक्ष अपने बहुमत का हवाला देते हुए कह रहा है कि यह प्रस्ताव सफल नहीं हो पाएगा।

अब, विपक्ष ने जो आरोप लगाए हैं, वह न केवल जगदीप धनखड़ की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं, बल्कि यह भी एक सख्त संदेश देते हैं कि विपक्ष अब किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठेगा। विपक्ष का कहना है कि न तो वह झुकेंगे, न दबेंगे, न रुकेंगे। संविधान, संसदीय मर्यादाओं और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर कुर्बानी के लिए तैयार हैं। दस महत्वपूर्ण बिंदुओं में विपक्ष ने अपनी बात रखी, जिन पर गंभीर विचार-विमर्श की आवश्यकता है।राज्यसभा सांसद डॉ सरफराज अहमद ने जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव  का समर्थन करते हुये कहा कि पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर एक साथ है । उन्होने कह कि उनके 40 साल के संसदीय जीवन मे एसी स्थिति कभी नहीं देखि है ।

पहला बिंदु है – संसद में बात कहने का अधिकार। विपक्ष का आरोप है कि सभापति महोदय लगातार उन्हें बोलने से रोकते हैं। जबकि सत्ता पक्ष के सदस्य बेझिजक झूठ बोलते हैं, मीडिया की खबरों को प्रमाणित करने की जिम्मेदारी विपक्ष पर थोपते हैं।

दूसरा गंभीर आरोप है – सभापति का दुरुपयोग। विपक्ष का कहना है कि सभापति ने अपनी शक्तियों का बेजा इस्तेमाल करते हुए कई बार सदस्यों को एकतरफा निलंबित किया।

तीसरा आरोप यह है कि सभापति सदन के बाहर भी विपक्षी नेताओं की आलोचना करते हैं और उनकी आलोचना भाजपा के पक्ष में की जाती है। यह पारंपरिक संसदीय गरिमा से काफी दूर का मामला है।

इतिहास में इस पद को गरिमा के साथ संभालने वालों ने कभी अपनी राजनीति या पार्टी का पक्ष नहीं लिया, लेकिन धनखड़ साहब ने तो सीधे-सीधे RSS की प्रशंसा की और स्वयं को ‘RSS का एकलव्य’ घोषित कर दिया, जो संविधान की भावना से खिलवाड़ है।

टीवी कवरेज का भी विरोध किया गया है। विपक्ष का कहना है कि संसद के अंदर होने वाले विरोध प्रदर्शन और उनकी आवाज़ को जानबूझकर मीडिया से हटा दिया जाता है। कैमरे केवल सत्ता पक्ष के सांसदों को दिखाते हैं और विपक्षी नेताओं की आवाज़ को काले पर्दे में छिपा दिया जाता है।

रूल 267 का उल्लंघन करते हुए विपक्षी सदस्य को नोटिस भी नहीं दिए जाते, जबकि सत्ता पक्ष के सांसदों को इसे लेकर कोई प्रतिबंध नहीं होता।

समझिए, यह कोई हल्का-फुल्का मुद्दा नहीं है। यह सीधे तौर पर हमारे संसदीय लोकतंत्र की धारा और दिशा से जुड़ा है। जहां तक सवाल विपक्ष के सवालों का है, तो इस पूरे मामले में यही कहा जा सकता है कि संसद अब सिर्फ एक मुकदमे की तरह न सिमट जाए। यह खामोशी नहीं, एक निर्णायक आवाज़ की बुनियाद है।

The News Post4u

Perwez Alam is one of the founder of The News Post4U, he brings over 4 decades of Journalism of experience, having worked with Zee News, Sadhna News, News 11, Bureau cheif of Dainik Jargarn, Govt. Accredited Crosspondent of Hindustan daily, Jansatta ect, He loves doing human intrest, political and crime related stories. Contact : 9431395522

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