
परवेज़ आलम की खास रपट ……………..
2024 झारखंड के लिए केवल एक चुनावी साल नहीं था, बल्कि सियासत का ऐसा रंगमंच था, जहां हर दिन एक नया ट्विस्ट देखने को मिला। जनवरी से शुरू हुई उथल-पुथल नवंबर में जाकर शांत हुई, लेकिन इस दौरान झारखंड ने इतिहास भी बनाया और राजनीति के सबसे दिलचस्प पल भी देखे।
हेमंत सोरेनकी गिरफ्तारी ।
31 जनवरी 2024, झारखंड की राजनीति और भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में दर्ज हो गया। पहली बार किसी मौजूदा मुख्यमंत्री को केंद्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया। ईडी के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके आवास पर सात घंटे पूछताछ की और फिर रात में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले 29 जनवरी को ईडी ने दिल्ली में शांति निकेतन स्थित उनके आवास, झारखंड भवन और उनके पिता शिबू सोरेन के घर पर छापेमारी की थी। लेकिन हेमंत सोरेन को ढूंढ नहीं पाई । 30 जनवरी को वे अचानक इंडिया गठबंधन के विधायकों के साथ रांची में बैठक करते दिखे।
चंपाई सोरेन का मुख्यमंत्री बनना।
31 जनवरी की रात हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा। उनकी गिरफ्तारी के बाद गठबंधन ने चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री चुना। पांच महीने तक राज्य की कमान चंपाई सोरेन के हाथ में रही
5 महीने बाद जेल रिहाई और हेमंत की वापसी।
28 जून 2024 को झारखंड हाई कोर्ट से हेमंत सोरेन को जमानत मिली। जेल से बाहर आते ही उन्होंने अपने नए लुक से सबको चौंका दिया। लंबे बाल और दाढ़ी में वे अपने पिता शिबू सोरेन की झलक दे रहे थे। उनकी रिहाई के साथ ही गठबंधन में सत्ता परिवर्तन की अटकलें तेज हो गईं। और आखिरकार, 4 जुलाई को हेमंत सोरेन ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली ।
चुनाव और गठबंधन की जीत।
2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी और सीपीआई-एमएल के साथ मिलकर गठबंधन ने 81 में से 56 सीटों पर जीत दर्ज की। 28 नवंबर को हेमंत सोरेन ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
बीजेपी के लिए निराशाजनक रहा साल।
2024 बीजेपी की हार का साल भी साबित हुआ। लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को झटका लगा, और विधानसभा चुनाव में उनकी हार ने झारखंड में उनकी स्थिति और कमजोर कर दी।
झारखंड की राजनीति में 2024 का साल दिखाता है कि लोकतंत्र में एक दिन भी कितना निर्णायक हो सकता है। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से लेकर उनकी वापसी तक, सत्ता के हर पहलू में सस्पेंस, ड्रामा और नई उम्मीदें देखने को मिलीं।
झारखंड की राजनीति को समझने के लिए इस साल को हमेशा याद किया जाएगा।
तो दोस्तों, कैसी लगी ये कहानी ? कमेंट में अपनी राय जरूर दीजिएगा।