
बीडीओ सहित चार पर एफआईआर, परिजनों को सरकारी नौकरी का आश्वासन.
Key point.
- मृतक पंचायत सेवक सुखलाल महतो ने 13 जून को कीटनाशक खाया, 15 जून को रिम्स रांची में मौत.
- आत्महत्या से पहले पत्र में बीडीओ और अन्य अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप.
- शव के साथ 12 घंटे से अधिक चला धरना, विधायक भी हुए शामिल.
- प्रशासन ने एफआईआर, सरकारी नौकरी और विभागीय कार्रवाई का दिया भरोसा.
- जिलास्तरीय जांच समिति का गठन.
By The News Post4u
गिरिडीह (झारखंड): गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड में कार्यरत पंचायत सेवक सुखलाल महतो की आत्महत्या के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। आरोप है कि उन्होंने बीडीओ, मुखिया के पति और दो अन्य अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर कार्यालय परिसर में ही जहरीला पदार्थ खा लिया था। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया।
आत्महत्या से पहले पत्र में लगाए थे गंभीर आरोप.
13 जून को डुमरी प्रखंड कार्यालय परिसर में सुखलाल महतो ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी। उन्हें गंभीर हालत में रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 15 जून को उनका निधन हो गया। आत्महत्या से पहले सुखलाल ने एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने डुमरी बीडीओ अन्वेषा ओना, बलथरिया पंचायत की मुखिया के पति परमेश्वर नायक, रोजगार सेवक अनिल कुमार और प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े बीसी पर मानसिक प्रताड़ना और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
शव के साथ 12 घंटे से अधिक धरना, विधायक भी बैठे समर्थन में.
रविवार देर रात जब मृतक का शव डुमरी लाया गया, तो उनके परिजन और ग्रामीण प्रखंड कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठ गए। सोमवार दोपहर 12:30 बजे तक यह धरना जारी रहा। माहौल उस समय और तनावपूर्ण हो गया, जब डुमरी के विधायक जयराम कुमार महतो भी धरने में शामिल हो गए और मृतक के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग उठाई।
वार्ता के बाद प्रशासन का फैसला: एफआईआर और नौकरी का आश्वासन.
स्थिति को देखते हुए गिरिडीह के एसडीएम संतोष गुप्ता ने विधायक और मृतक के परिजनों से बातचीत की। वार्ता के बाद यह सहमति बनी कि जिन चार लोगों पर मृतक ने आरोप लगाए थे, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। साथ ही, मृतक के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने, विभागीय कार्रवाई शुरू करने और पावना समेत अन्य सरकारी लाभ दिए जाने का निर्णय लिया गया।
विधायक का आरोप: सिस्टम ने की आत्महत्या के लिए मजबूर.
विधायक जयराम महतो ने कहा कि “अगर किसी कर्मचारी को आत्महत्या करनी पड़ी है तो इसके लिए सिस्टम जिम्मेदार है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रांची में पुलिस मृतक के बयान में नाम शामिल नहीं करना चाहती थी, जिस पर उन्होंने दबाव बनाकर यह सुनिश्चित किया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।
जांच के लिए बनी कमेटी.
14 जून को ही गिरिडीह के उपायुक्त रामनिवास यादव के निर्देश पर एक जांच कमेटी का गठन कर दिया गया था। इसमें अपर समाहर्ता विजय सिंह बिरुआ, एसडीएम संतोष गुप्ता, डीएसपी नीरज कुमार सिंह और डॉ. रवि महर्षि शामिल हैं। इसके अलावा, पुलिस अपनी स्तर से भी मामले की जांच कर रही है।
यह घटना झारखंड के सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक बड़ा संकेत है। अब देखना होगा कि प्रशासन अपने वादों को कितनी जल्दी और ईमानदारी से अमल में लाता है।