
परवेज़ आलम
RANCHI: झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक और बड़ा झटका लगा है। भोले बाबा की नगरी देवघर में इस बार इंडिया गठबंधन ने कमल को मुरझा दिया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी सुरेश पासवान ने बीजेपी के नारायण दास को 39,000 से ज्यादा वोटों से हराकर यह सीट जीत ली। देवघर से मिली इस हार ने बीजेपी की हिंदुत्व राजनीति और उसके विकास मॉडल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुरेश पासवान ने 1,56,079 वोट हासिल किए, जबकि नारायण दास को 1,16,358 मतों पर ही संतोष करना पड़ा।
बीजेपी की हिंदुत्व रणनीति फेल?
देवघर, जिसे भोले बाबा की नगरी के नाम से जाना जाता है, हिंदुत्व की राजनीति के लिए एक अहम केंद्र माना जाता है। बीजेपी ने हमेशा धार्मिक स्थलों के विकास को अपने एजेंडे में प्राथमिकता दी है।
• काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हो,
• उज्जैन का महाकाल लोक,
• या अयोध्या में राम मंदिर निर्माण,
बीजेपी ने धार्मिक नगरी में भारी निवेश किया।
देवघर में भी एयरपोर्ट का निर्माण और कई अन्य विकास कार्य किए गए। लेकिन, इसके बावजूद देवघर की जनता ने बीजेपी को नकार दिया और इंडिया गठबंधन के साथ खड़ी हो गई।
अयोध्या से देवघर तक हार का सिलसिला
यह हार बीजेपी के लिए नई नहीं है। इसी साल लोकसभा चुनाव में भी अयोध्या के अंतर्गत आने वाली फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था।
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने बीजेपी को हराया था। अब देवघर में इंडिया गठबंधन ने यह सिलसिला जारी रखते हुए बीजेपी को करारी शिकस्त दी है।
देवघर चुनाव: इंडिया गठबंधन का दबदबा
झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन (जेएमएम, कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई-एमएल) ने सत्ता में अपनी पकड़ बरकरार रखी है।
देवघर में इंडिया गठबंधन की बड़ी जीत
देवघर की हार बीजेपी के लिए सिर्फ एक चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि उसके धार्मिक और विकासवादी राजनीति पर बड़ा सवाल है।
इंडिया गठबंधन इसे बड़ी जीत मानते हुए प्रचारित कर रहा है। क्या यह हार बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे का असर कम होने का संकेत है? या जनता ने विकास के नाम पर सिर्फ दावे करने वालों को नकार दिया है?
राजनीतिक संदेश
देवघर और अयोध्या जैसी धार्मिक नगरी में हार का सिलसिला बीजेपी के लिए चेतावनी है। जहां हिंदुत्व बीजेपी का कोर मुद्दा है, वहीं अब जनता इस मुद्दे से इतर वास्तविक विकास और जमीनी मुद्दों पर अपना निर्णय सुना रही है।