
गिरिडीह से परवेज़ आलम की रिपोर्ट …….
झारखंड का एक छोटा पर सुंदर स शहर है गिरिडीह जो आम तौर पर अपने साधारण जीवन और सादगी के लिए जाना जाता है. जवाब है—हां, बिल्कुल!
शाम के 5:40 बजे।
करिश्मा कपूर की गाड़ी शो-रूम के उद्घाटन स्थल पर पहुंची। जैसे ही दरवाजा खुला, गिरिडीह में मानो बिजली सी कौंध गई। लोग सड़क किनारे, पेड़ों पर, छतों पर, यहां तक कि दीवारों पर भी चढ़कर इस पल को अपनी आंखों में कैद करने की कोशिश कर रहे थे।
करिश्मा ने माइक उठाया और कहा, “गिरिडीह वालों, कैसे हो?”
बस, फिर क्या था! पूरा शहर शोर के समंदर में डूब गया। लोग मोबाइल की फ्लैशलाइट ऑन करके उनका स्वागत कर रहे थे। जैसे-जैसे करिश्मा मुस्कराईं, लोगों के दिलों की धड़कनें तेज़ होती गईं।
और फिर, वह पल आया जिसने भीड़ को झूमने पर मजबूर कर दिया। लोगों की मांग पर करिश्मा ने अपनी किसी हिट फिल्म के गाने पर ठुमके लगाए। हर ठुमके पर भीड़ झूम उठी। मानो पूरे गिरिडीह का समय वहीं थम गया हो।
सड़कें जाम, दीवारें हाउसफुल।
लोग घंटों पहले से खड़े थे। पुलिस प्रशासन सुरक्षा में जुटा था, लेकिन भावनाओं की बाढ़ को कैसे रोका जा सकता है? यह सब देखकर एक बात साफ है—फिल्में केवल पर्दे तक सीमित नहीं हैं। वे लोगों के दिल और जीवन का हिस्सा हैं।
करिश्मा का आना सिर्फ एक इवेंट नहीं था। यह इस बात की गवाही थी कि सिनेमा का आम आदमी पर कितना गहरा असर है। जब कोई बॉलीवुड स्टार छोटे शहरों में आता है, तो वह उम्मीदें, सपने और अपनों से जुड़ाव लेकर जाता है।
गिरिडीह ने करिश्मा को देखा और महसूस किया कि ग्लैमर और आम आदमी का रिश्ता केवल एक झलक का ही नहीं, बल्कि दिल का रिश्ता है।