
परवेज़ आलम की रिपोर्ट ……………
हर दिन मोबाइल पर गृह मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी के तहत डिजिटल अरेस्ट को लेकर जागरूकता कॉलर ट्यून सुनाई देती है। अखबारों और विभिन्न कार्यक्रमों में भी इसके बारे में चर्चा होती रहती है। बावजूद इसके, पढ़े-लिखे लोग भी साइबर अपराधियों के जाल में फंसते जा रहे हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला देवघर में सामने आया, जहां पीजी तक पढ़ाई कर चुकी एक युवती को डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया गया।
कैसे हुआ साइबर क्राइम?
शुक्रवार को देवघर के विलियम्स टाउन इलाके की एक युवती को ठगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर 24 घंटे तक कैद रखा। अपराधी उसे लगातार मानसिक यातनाएं देते रहे और हर उस निर्देश का पालन करवाया, जो उन्होंने दिया। इस दौरान युवती सोई, खाई, पी और यहां तक कि अपने पिता से बात कराकर बैंक अकाउंट की डिटेल्स भी साझा कर दी।
सौभाग्य से, वह ठगी से बच गई, लेकिन जब वह पुलिस थाने शिकायत दर्ज कराने पहुंची, तो उसका डर उसके कांपते हाथों और सहमे हुए चेहरे पर साफ झलक रहा था।
“तुम्हारे खिलाफ केस दर्ज है” – एक फोन कॉल जिसने जिंदगी बदल दी!
घटना 6 फरवरी की है, जब युवती की सामान्य दिनचर्या चल रही थी। तभी अचानक एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए कहा कि “तुम्हारे खिलाफ सोशल मीडिया पर अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने का केस दर्ज हुआ है!”
जब युवती ने यह कहकर इनकार किया कि “मैंने ऐसा कुछ नहीं किया,” तो कॉलर ने उसे एक सीनियर अधिकारी से बात करवाई।
इसके बाद…
🔹 फोन पर ही एक ‘फर्जी अरेस्ट वारंट‘ भेज दिया गया।
🔹 वीडियो कॉल पर युवती को कैद कर लिया गया।
🔹 कहा गया कि ‘तुम्हारे घर की निगरानी की जा रही है, बाहर मत निकलना!‘
🔹 डराने के लिए वर्दी में फोटो भी दिखाया गया।
🔹 “अगर किसी को बताया, तो पूरे परिवार की जान खतरे में पड़ जाएगी” – धमकी दी गई।
24 घंटे तक साइबर टॉर्चर – पिता तक को झांसे में लिया!
गुरुवार से शुक्रवार तक युवती पूरी तरह ठगों के जाल में फंसी रही। इस दौरान उसने किसी से संपर्क करने की हिम्मत नहीं की। जब सुबह उसने बड़ी मुश्किल से अपने पिता से बात करने की गुहार लगाई, तो अपराधियों ने पिता को भी अपने जाल में फंसा लिया।
पिता से एक बैंक अकाउंट की डिटेल्स भी ले ली गईं। लेकिन इस बीच युवती के भाई को इस घटना की जानकारी हो गई। उसने अपने दोस्त को युवती के घर भेजा, जिसने किसी तरह समझा-बुझाकर युवती को साइबर थाना जाने के लिए तैयार किया।
अगर युवती समय रहते पुलिस के पास नहीं पहुंचती, तो वह गलत कदम उठा सकती थी।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
👉 डिजिटल अरेस्ट भारतीय कानून में मान्य नहीं है।
👉 यह साइबर क्राइम का नया तरीका है।
👉 अपराधी सोशल मीडिया प्रोफाइल से जानकारी चुराते हैं और फिर पीड़ित को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं।
👉 गिरफ्तारी का डर दिखाकर वीडियो कॉल के जरिए ‘घर में नजरबंद‘ कर देते हैं।
👉 बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन, सीबीआई ऑफिस जैसी तस्वीरें दिखाकर पीड़ित को भ्रमित करते हैं।
👉 किसी ऐप को डाउनलोड कराकर या डिजिटल फॉर्म भरवाकर पैसे ट्रांसफर करवाते हैं।
कैसे बचें डिजिटल अरेस्ट से?
✔️ अज्ञात नंबरों से आए कॉल पर सतर्क रहें।
✔️ किसी भी फर्जी अरेस्ट वारंट या केस के नाम पर डरें नहीं।
✔️ अगर कोई आपको डराकर बैंक डिटेल्स मांग रहा है, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर संपर्क करें।
✔️ सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारी, फोटो और नंबर शेयर न करें।
✔️ अगर कोई वीडियो कॉल पर आपको ‘कैद‘ कर रहा है, तो तुरंत किसी भरोसेमंद व्यक्ति को जानकारी दें।
डिजिटल दुनिया में सतर्क रहना ही सुरक्षा है!
देवघर की यह घटना सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि सबक है कि साइबर ठग कितने शातिर हो सकते हैं। पढ़े-लिखे लोग भी इन अपराधियों के जाल में फंस सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि सतर्क रहें, जागरूक रहें और जरूरत पड़ने पर तुरंत पुलिस की मदद लें!