
हजारीबाग : हजारीबाग सदर के अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) अशोक कुमार की पत्नी अनिता कुमारी की मौत हो गई है। अनिता करीब 65% तक जल चुकी थीं, और डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस दर्दनाक घटना ने परिवार और प्रशासन, दोनों को हिला कर रख दिया है।
एफआईआर में एसडीओ समेत परिवार के चार लोग नामजद.
अनिता के भाई राजू कुमार गुप्ता ने लोहसिंघना थाने में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है। एफआईआर में एसडीओ अशोक कुमार, उनके पिता दुर्योधन साव, छोटे भाई शिवनंदन कुमार, और उनकी पत्नी रिंकू देवी को आरोपी बनाया गया है।
राजू का आरोप है कि उनकी बहन अनिता ने कई बार कहा था कि उनके पति का किसी और महिला से अवैध संबंध है। यही वजह दोनों के बीच लगातार विवाद का कारण बनती थी। एक बार दोनों परिवारों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत भी हुई थी। उस वक्त एसडीओ ने कथित तौर पर कहा था, “आगे से शिकायत करने का मौका नहीं मिलेगा।”
‘कहां जाना है जाओ, मैं एसडीओ हूं!’
राजू के मुताबिक, इस घटना से पहले भी एसडीओ और उनके परिवार की ओर से धमकियां दी गई थीं। अशोक कुमार ने कथित तौर पर कहा था, “जहां जाना है जाओ, कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं अनुमंडल पदाधिकारी हूं। तुम सबको बर्बाद कर दूंगा।”
सुबह की घटना, भाई ने फोन पर दी सूचना.
राजू ने बताया कि 26 दिसंबर की सुबह 8:45 बजे एसडीओ के भाई शिवनंदन का फोन आया। उन्होंने केवल इतना कहा कि अनिता जल गई है और फोन काट दिया। इसके बाद राजू ने दोबारा कॉल किया, तो पता चला कि अनिता को हजारीबाग के अस्पताल से बोकारो के बीजीएच रेफर किया जा रहा है। घटना कब और कैसे हुई, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।जब परिवार बोकारो पहुंचा, तो अनिता को बुरी तरह झुलसा हुआ पाया। बेहतर इलाज के लिए उन्हें रांची के देवकमल अस्पताल भेजा गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
एसडीओ का पक्ष: ‘खुद पर तेल डालकर लगाई आग. ‘
एसडीओ अशोक कुमार ने इस पूरे मामले में सफाई दी है। उन्होंने कहा, “गुरुवार की सुबह मेरी पत्नी मॉर्निंग वॉक के लिए तैयार हो रही थीं। घर में रंग-रोगन का काम चल रहा है। मैंने उन्हें बाहर जाने से रोका, तो वह नाराज हो गईं। फिर गुस्से में खुद पर तेल डालकर आग लगा ली।”एसडीओ का दावा है कि उन्हें बचाने की कोशिश में उनके हाथ भी जल गए।
मौत पर उठ रहे सवाल.
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह वास्तव में आत्महत्या का मामला है, जैसा कि एसडीओ दावा कर रहे हैं? या फिर यह घरेलू हिंसा और प्रताड़ना का परिणाम है? पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
हजारीबाग की यह घटना बताती है कि परिवार और समाज के बीच अधिकार और जिम्मेदारी का संतुलन कितना अहम है।