
रिपोर्ट: परवेज़ आलम……..
हेमंत सोरेन का नाम झारखंड की राजनीति में महज एक नेता का नहीं, बल्कि संघर्ष, दृढ़ता और विजयी संकल्प का प्रतीक बन चुका है। गुरुवार को जब उन्होंने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो यह केवल एक पद ग्रहण करने का अवसर नहीं, बल्कि एक ऐसा क्षण था जो बताता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी साहस और प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा जा सकता है।
तीन मोर्चों पर अकेले लड़ाई, सबको चौंकाया .
हेमंत सोरेन के लिए यह चुनावी सफर आसान नहीं था। तीन मोर्चे थे—कानूनी संकट, पार्टी का आंतरिक संघर्ष, और विपक्षी हमले। 2023 में भूमि घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों और गिरफ्तारी ने उनकी राजनीतिक यात्रा को सबसे चुनौतीपूर्ण बना दिया। लेकिन पांच महीने जेल में बिताने के बाद जब उन्होंने जमानत पर रिहाई पाई, तो उनका यह कहना कि “यह साजिश थी, आदिवासियों की आवाज को दबाने की कोशिश,” पूरे झारखंड में गूंज उठा।
पार्टी के भीतर बगावत से निपटना भी किसी युद्ध से कम नहीं था। झामुमो को संगठित रखते हुए उन्होंने कांग्रेस और राजद जैसे गठबंधन सहयोगियों को भी विश्वास में बनाए रखा। और विपक्ष ? भाजपा के तीखे हमलों और राजनीतिक चालों के बावजूद, सोरेन का लचीला नेतृत्व और अदम्य साहस झारखंड की जनता के लिए भरोसे का आधार बना रहा।
संघर्षों से सफलता तक की कहानी .
हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। 10 अगस्त 1975 को झारखंड के नेमरा गांव में जन्मे सोरेन अपने पिता और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी माने गए। लेकिन उनके सफर में कठिनाइयां कम नहीं थीं। 2009 में राज्यसभा सदस्य के तौर पर शुरुआत करने वाले सोरेन को जल्दी ही राज्य की राजनीति में गहराई तक उतरना पड़ा। 2013 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने वाले हेमंत, झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। लेकिन यह कार्यकाल अधिक लंबा नहीं चला। 2014 में भाजपा सत्ता में आ गई और सोरेन विपक्ष में बैठ गए।
जनता के लिए नायक, विरोधियों के लिए चुनौती .
हेमंत सोरेन ने हर बार झारखंड की जनता के मुद्दों को अपने एजेंडे में रखा। उनकी योजनाओं ने सामाजिक सुरक्षा और आदिवासी अधिकारों पर खासा ध्यान दिया। ‘मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना’ के तहत महिलाओं को आर्थिक सहारा, किसानों के ऋण माफी का ऐलान, और ‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’ जैसी योजनाओं ने उन्हें जनता के बीच खासा लोकप्रिय बना दिया।
उनकी यह योजनाएं केवल विकास के वादे नहीं, बल्कि सत्ता के केंद्र में जनता को लाने की कोशिश थी। और यही कारण है कि विपक्ष की तमाम कोशिशों के बावजूद वे झारखंड के सबसे प्रभावशाली और भरोसेमंद नेताओं में अपनी जगह बनाए हुए हैं।
हेमंत की जीत: झारखंड की उम्मीदें
चुनावों के नतीजों ने साबित कर दिया कि हेमंत सोरेन केवल एक नेता नहीं, बल्कि झारखंड की उम्मीदों का चेहरा बन चुके हैं। उनकी चौथी पारी झारखंड को नई दिशा देने के लिए कितनी सफल होगी, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इस वक्त, उनकी कहानी न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है।
झारखंड की जंग में अकेले उतरकर उन्होंने न केवल जीत हासिल की, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि जब जनता का भरोसा साथ हो, तो कोई भी लड़ाई मुश्किल नहीं होती।