
झारखंड सरकार को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट से अलग स्वीकृत योजनाओं पर खर्च करने के लिए ₹10,282 करोड़ की आवश्यकता है। इसे पूरा करने के लिए, सरकार ने सभी विभागों से बची हुई राशि वापस करने (सरेंडर) को कहा है। इसके लिए अंतिम तिथि 9 दिसंबर तय की गई है। सबसे बड़ा खर्च झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पर होगा, जिसमें ₹7,314 करोड़ की जरूरत है। इसके अलावा, बिजली शुल्क में छूट के लिए ₹1,810 करोड़, बिरसा फसल बीमा योजना के लिए ₹250 करोड़ और बिजली टैरिफ सब्सिडी के लिए ₹767 करोड़ की आवश्यकता है।
विभागों से धन जुटाने की योजना
वित्त विभाग ने अनुमान लगाया है कि विभागों से लगभग ₹8,200 करोड़ जुटाए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, झारखंड मिनरल्स बियरिंग लैंड सेस से ₹1,600 करोड़ और जिला खनिज फाउंडेशन से ₹490 करोड़ मिलने की उम्मीद है। अक्टूबर 2024 में लागू किए गए झारखंड मिनरल्स बियरिंग लैंड सेस से अब तक ₹400 करोड़ जमा हुए हैं और हर महीने ₹300 करोड़ मिलने की संभावना है।
धन वापसी (सरेंडर) के नियम
सरकार ने तय किया है कि जिन विभागों ने बजट का 50% से अधिक खर्च किया है, उन्हें 5% राशि सरेंडर करनी होगी। वहीं, 30-50% खर्च करने वाले विभागों को 10% और 30% से कम खर्च करने वाले विभागों को 20% राशि वापस करनी होगी। केंद्र प्रायोजित योजनाओं से भी फंड सरेंडर करने का निर्देश दिया गया है।
प्रमुख विभाग और योजनाएं
सरेंडर की प्रक्रिया में योजना एवं विकास, कृषि, पशुपालन, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और जल संसाधन जैसे प्रमुख विभागों को शामिल किया गया है।