
पारसनाथ पहाड़ संरक्षण को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, राज्य सरकार को मिला समय
झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को पारसनाथ पहाड़ को जैन धर्मावलंबियों की धार्मिक भावनाओं के अनुरूप संरक्षित करने से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
जैन संस्था ज्योत ने दायर की याचिका
इस जनहित याचिका को जैन संस्था ज्योत की ओर से दायर किया गया है, जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने की। याचिका में गिरिडीह स्थित पारसनाथ पहाड़ को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह स्थल जैन समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र है, लेकिन बीते कुछ वर्षों से यहां शराब और मांस की बिक्री हो रही है, साथ ही अतिक्रमण और पिकनिक जैसी गतिविधियां भी बढ़ी हैं। इससे धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंच रही है।
पर्यटन स्थल के रूप में विकास पर आपत्ति
याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार पारसनाथ पहाड़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है, जिससे जैन धर्मावलंबियों की धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन हो रहा है।
याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार की 5 जनवरी 2023 की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि पारसनाथ पहाड़ी पर किए जाने वाले सभी कार्य जैन धर्म की धार्मिक भावनाओं के अनुरूप होने चाहिए।
अब अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को करेगी, जिससे तय होगा कि पारसनाथ पहाड़ को किस तरह संरक्षित किया जाएगा।